भारतीय जनसंघ के संस्थापक और राष्ट्रवादी चिंतक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर आज उत्तर प्रदेश सहित देशभर में भाजपा नेताओं द्वारा माल्यार्पण और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। हाथरस, वाराणसी, लखनऊ जैसे कई शहरों में भाजपा कार्यकर्ता उनकी तस्वीर पर फूल चढ़ाते और नारों में उनका गुणगान करते नजर आए। लेकिन सवाल यह है कि क्या आज की भाजपा उनके विचारों का पालन भी कर रही है, या केवल राजनीतिक प्रतीकों के रूप में उनका इस्तेमाल कर रही है?

डॉ. मुखर्जी ने देश में एकता, लोकतंत्र, और नैतिक राजनीति की बात की थी। वह संविधान और असहमति का सम्मान करने वाले नेता थे। आज उत्तर प्रदेश में बुलडोजर राजनीति, धार्मिक ध्रुवीकरण, और संवैधानिक संस्थाओं की उपेक्षा जिस तरह से हो रही है, वह उनके विचारों के बिल्कुल विपरीत है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कभी कहा था – “देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे”, लेकिन आज वही पार्टी एक देश में दो वर्ग – धर्म के नाम पर बंटा समाज – बनाने में लगी हुई है।

श्रद्धांजलि के साथ-साथ यदि भाजपा उनके विचारों को भी आत्मसात करती, तो शायद आज का भारत और उत्तर प्रदेश अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी होता।

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