महाराष्ट्र में भाषा की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के हालिया हिंदी विरोधी बयान के बाद राज्य के कई हिस्सों में यूपी-बिहार के लोगों और हिंदी भाषी नागरिकों पर हमले शुरू हो गए हैं।

राज ठाकरे ने एक जनसभा में कहा था:

“जो हिंदी भाषी मराठी नहीं बोल सकते, उन्हें महाराष्ट्र छोड़ देना चाहिए।”

इस बयान के बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई, ठाणे, नासिक, और कल्याण जैसे इलाकों में हिंदीभाषी दुकानदारों, मजदूरों और छात्रों को पीटना शुरू कर दिया।कुछ जगहों पर दुकानों पर बोर्ड तोड़े गए, और हिंदी में बात करने वालों को खुलेआम धमकाया गया।

“राज ठाकरे के बाप का महाराष्ट्र हैं क्या?”

इस बयान ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त हलचल मचा दी है और कुछ ही घंटों में ट्वीट को 3.8 लाख से ज़्यादा बार देखा गया।

नवीन जिंदल का यह ट्वीट अब हिंदीभाषियों के सम्मान और अधिकार की आवाज़ बनता जा रहा है।

बुनियादी सवाल ये है:

क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में भाषा के नाम पर प्रवासी नागरिकों की पिटाई जायज़ है?क्या अब एक राज्य में रहने के लिए भाषा का “लाईसेंस” अनिवार्य होगा?

अगर संविधान हर भारतीय को देश के किसी भी कोने में रहने और काम करने की गारंटी देता है, तो “मराठी बोलो या निकलो” जैसे बयान लोकतंत्र पर सीधा हमला हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *