हाथरस की राजनीति अब विकास या जनसेवा पर नहीं, मूर्ति स्थलों पर केंद्रित होती जा रही है। ताजा मामला है ठाकुर मलखान सिंह जी की मूर्ति, जिसे सदर विधायक अंजुला सिंह माहौर के अथक प्रयासों से फिर से स्थापित किया जा रहा है। इस पर निरीक्षण में पूरा प्रशासन जुट गया — जिलाधिकारी से लेकर एसडीएम, एसपी तक, जैसे कोई राष्ट्रीय परियोजना हो!

लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ मूर्ति लगाने से क्षेत्र का विकास हो जाएगा? क्या टूट चुकी सड़कें, गंदगी, जलभराव, बेरोजगारी और शिक्षा की बदहाली इसी मूर्ति की छाया में खत्म हो जाएगी?

सच तो यह है कि ये मूर्ति नहीं, मूर्तिराजनीति है — जहां जनता की भावनाओं को सम्मान की चाशनी में डुबोकर वोट बैंक में बदला जाता है। नेताजी को मालूम है कि जनता मूर्ति देखकर भावुक हो जाएगी, सवाल नहीं पूछेगी।

जब तक जनता असली मुद्दों को छोड़कर प्रतीकों पर ताली बजाती रहेगी, तब तक हाथरस में मूर्तियाँ बनती रहेंगी, लेकिन हकीकत में विकास खुद पत्थर बना रहेगा।

“अब जनता को चाहिए मूर्ति नहीं, ज़िम्मेदारी और जवाबदेही!”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *