हाथरस नगर पालिका परिषद को बने हुए अब 28 वर्ष (1997–2025) हो चुके हैं। लेकिन शहर की हालत देखकर लगता है मानो इसे 28 दिन पहले भी ठीक से नहीं संभाला गया हो।

हर रोड, हर गली, चाहे वो आगरा रोड हो, अलीगढ़ रोड, या शहर का कोई भी मोहल्ला — नालियां बजबजा रही हैं, गटर उफान पर हैं, और गन्दगी की व्यवस्था विकराल रूप ले चुकी है

शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। लेकिन हैरानी तब होती है जब सरकारी कार्यक्रमों में यही नाकाम जिम्मेदार अफसर और प्रतिनिधि माला पहनकर, टोपियां ओढ़कर, मंच पर बैठते हैं।
उन्हें सम्मानित किया जाता है, जैसे इन्होंने हाथरस को ‘स्मार्ट सिटी’ बना दिया हो!

लेकिन असली शर्म की बात ये है कि ऐसा करने वाले लोग — यानी उन्हें फूलों से लादने वाले चापलूस भी इस गंदगी के उतने ही बड़े गुनहगार हैं।

सच्चाई यह है कि जितने दोषी कुर्सी पर बैठे निकम्मे लोग हैं, उतने ही जिम्मेदार वो लोग भी हैं जो उन्हें हर बार सम्मानित करके उनकी असफलताओं पर पर्दा डालते हैं।

अब वक्त आ गया है कि हाथरस की जनता सिर्फ शिकायत न करे, बल्कि जवाबदेही तय करे — नहीं तो अगले 28 साल भी सिर्फ बदबू, गंदगी और दिखावे की राजनीति में बीतेंगे।

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