हाल ही में चर्चित न्यूज़ चैनल TV9 भारतवर्ष ने दावा किया कि 15 जुलाई 2025 से दोपहिया वाहनों (स्कूटर-बाइक आदि) पर टोल टैक्स लिया जाएगा, और यह निर्णय NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा लागू किया जाएगा। इस खबर ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया और आम जनता में भ्रम की स्थिति बन गई।
लेकिन थोड़ी ही देर बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर इस खबर को पूरी तरह से भ्रामक और असत्य बताया। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि:
“दोपहिया वाहनों पर टोल लगाए जाने का कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं है। दोपहिया वाहन टोल से पूर्णतः मुक्त रहेंगे। कुछ मीडिया संस्थान बिना पुष्टि के सनसनी फैलाने में लगे हैं, जो स्वस्थ पत्रकारिता के खिलाफ है।”

गडकरी ने TV9 भारतवर्ष को सार्वजनिक रूप से टैग करते हुए उन्हें फटकार लगाई। इसके बाद चैनल ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए खबर वापस ली।

गिरता मीडिया स्तर – अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय
इस घटना ने फिर एक बार इस सच्चाई को उजागर किया है कि भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा अब जिम्मेदार पत्रकारिता छोड़कर टीआरपी और सनसनी के पीछे भाग रहा है। तथ्य की जगह अफवाह, और खोज की जगह भावनात्मक उत्तेजना परोसना अब आम हो चला है।
अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भी भारत की प्रेस स्वतंत्रता और विश्वसनीयता का स्तर लगातार गिर रहा है, जिससे भारत की साख को नुकसान पहुंच रहा है।
🔍 निष्कर्ष:
“15 जुलाई से दोपहिया वाहन पर टोल लगेगा” – यह दावा पूरी तरह फेक न्यूज है।
इस प्रकार की गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता सिर्फ भ्रम फैलाती है और लोकतंत्र की रीढ़ – स्वतंत्र प्रेस – को कमजोर करती है।
समाज और पत्रकारिता दोनों के लिए ज़रूरी है कि सत्य, जांच और नैतिकता को प्राथमिकता दी जाए।
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