मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किया गया “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान एक भावनात्मक अपील है — लेकिन हाथरस की गलियों में घूमिए, तो समझ में आता है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक ड्रामा और दिखावे का खेल है।

बारिश के मौसम में हाथरस की सड़कों पर पानी का भराव इतना है कि नालियों और गलियों का गंदा पानी लोगों के घरों में घुस रहा है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे उसी गंदगी से होकर निकलने को मजबूर हैं — यही “माँ” है जिसकी आड़ में भाजपा फोटो खिंचवा रही है।

बगला अस्पताल की हालत तो और भी शर्मनाक है — यहां मरीज बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं, AC और पंखे बंद हैं, और बीमार लोग उमस में तड़प रहे हैं।

“एक पेड़ माँ के नाम” की बजाय BJP को चाहिए कि पहले अपनी सरकार से सवाल करे — “एक अस्पताल इंसान के नाम कब मिलेगा?”

हाथरस की जनता पूछ रही है:क्या पेड़ लगाकर माँ को सम्मान दिया जा सकता है, जब उसी माँ को गंदगी, बीमारी और बदइंतजामी में जीने को मजबूर किया जाए?

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