धड़क 2, जिसे धर्मा प्रोडक्शन ने प्रड्यूस किया है और शाज़िया इक़्बाल ने डायरेक्ट किया है, का ट्रेलर आते ही पूरे देश में विवाद की आग सुलगने लगी है। फिल्म की रिलीज़ डेट 1 अगस्त है, लेकिन ट्रेलर ने ही साफ कर दिया है कि ये सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि जाति, धर्म और राजनीति का विस्फोटक मेल है।
फिल्म तमिल सुपरहिट ‘Pariyerum Perumal’ की हिंदी रीमेक है, जिसमें दलित लड़के और ऊँची जाति की लड़की के प्रेम के साथ हो रहे अत्याचार और सामाजिक भेदभाव को बेहद तीखे ढंग से दिखाया गया था।

ट्रेलर में ऐसे सीन हैं, जो आने वाले समय में सड़कों पर नारेबाज़ी और बैन की माँग तक खींच सकते हैं —

🔹 लड़की(मुख्य अभिनेत्री) कहती है: “मुझे इन सब से फर्क नहीं पड़ता।

🔹 दलित लड़के को जंजीरों में बांधकर रेलवे ट्रैक पर फेंका जाता है

🔹 लाडके (मुख्य अभिनेता) पर कीचड़ डाला जाता है, मानो उसका वजूद ही गंदगी हो

🔹 पोस्टर पूरी तरह नीले रंग में है – जो अंबेडकरवादी दलित आंदोलन का स्पष्ट प्रतीक है

🔹 और सबसे विवादास्पद बात – इस पूरी जातीय कथा को निर्देशित कर रही हैं एक मुस्लिम महिला निर्देशक शाज़िया इक़्बाल,
🔹 जिन्होंने 2018 में ‘Bebaak’ नाम की फिल्म बनाई थी,
🔹 जो महिलाओं की स्वतंत्रता, धार्मिक कट्टरता और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर तीखा प्रहार करती है,
🔹 और जिसे #MeToo विवाद के चलते फेस्टिवल से हटा दिया गया था, जबकि कंटेंट पर कोई आपत्ति नहीं थी।
अब सवाल यही है:
क्या एक मुस्लिम निर्देशक को हिंदू जातिगत मुद्दों पर फिल्म बनाने का नैतिक अधिकार है?
क्या करण जौहर का मकसद वाकई सामाजिक जागरूकता है या समाज में नया ज़हर घोलना?
राजनीतिक हलकों में हलचल शुरू हो गई है। धर्म, जाति और सामाजिक समीकरणों से जूझता भारत अब एक बार फिर सिनेमा के जरिए एक नए तूफान की तरफ बढ़ रहा है।
1 अगस्त को धड़क 2 नहीं, शायद देश की राजनीति धड़कने लगे!क्या आप तैयार हैं?